बादलों की गर्जना धीरे-धीरे बढ़ते जा रहा था! शायद बारिश आने की संदेश दे रहा था!
कर्मचारी- नंदू, शिखा डर रही होगी, अब मैं चलूंगा! इतना कहते हुऐ तनकर कर खड़ा हो जाता है! फिर नंदू की तरफ देखते हुए!
अरे एक बात पूछना तो भूल ही गया , इस क्वार्टर का किराया कितना है!
नंदू किराया बताता है!
कर्मचारी-मेरे बगल में इससे सस्ता और बढ़िया क्वार्टर है!
यदि तुम चाहो तो बात किया जाए!
नंदू-जी अंकल जी, इससे बढ़िया होगा तो क्यों नहीं रहेंगे!
कर्मचारी-तो फिर शुभ काम में देर किस बात की चलो मेरे साथ!
नंदू कर्मचारी के साथ चलने के लिए तैयार हो जाता है!
नंदू मन ही मन सोचता है इतने दिनों बाद जा रहा हूं, शिखा के लिए कुछ लेकर जाना पड़ेगा!नहीं तो सोचेगी नौकरी भी लग गया फीर भी खाली हाथ आया है!
नंदू-- अपने थैले से कुछ पैसे निकाल कर जेब में रख देता है! और फीर !
कर्मचारी के साथ चल देता है!
नंदू रास्ते में मिठाई की दुकान देखकर, मिठाई खरीदने लगता है!
कर्मचारी- इसकी क्या जरूरत है !
नंदू बगैर जवाब दिए ,मिठाई ले लेता है! रास्ते में ढेर सारी बातें होती हैं!
कुछ समय चलने के बाद कर्मचारी का क्वार्टर आता है!
शिखा बरामदे मे बैठी थी! इन दोनों को देखते ही!बगैर अनुमति के चाय बनाने चली जाती हैं! और
कुछ ही क्षणों में दो प्यालो में चाय ,और कुछ नमकीन लेकर बरामदे में आती है!
कर्मचारी-चाय देखते ही ...अरे अभी तो नंदू के क्वार्टर से चाय पकौड़ा खाकर आया हूं !
शिखा--वो अपना धर्म निभाएं हैं! और ये मेरा धर्म है!
इतना कहती हुई किचन की तरफ चली जाती हैं!
कर्मचारी मुस्कुराते हुए,समझदार हो गई है!
चाय पीने के बाद कर्मचारी शिखा को बुलाते हैं!
शिखा यै शिखा -किचन से आवाज आती है, जी बाबू जी!
कर्मचारी-मैं आ रहा हूं रमेश बाबू के यहां से ,नंदू को क्वार्टर दिलवाना है!
शिखा-- जी ठीक है जल्दी आ जाइएगा!
दोनों उठकर खड़ा हो जाता है!
तभी पीछे से ,शिखा छाता लेकर आती है!-- बारिश आने वाली है, छाता लेते जाइए!
शिखा के हाथ से नंदू छाता ले लेता है !और फिर दोनों रमेश बाबू के यहां क्वार्टर के लिए चल पड़ते हैं!
कुछ दूर चलने के बाद,दोनों रमेश बाबू के यहां पहुंचते हैं !
रमेश बाबू बरामदे में बैठकर रेडियो पे न्यूज़ सुन रहे थे!
कर्मचारी-- राम राम रमेश बाबू!
रमेश बाबू-- राम राम जी राम राम!और विनोद जी बड़े दिनों बाद दर्शन दिए!
इतना कहते हुए अपने नौकर से दो कुर्सी लाने को कहते हैं!
रमेश बाबू-- विनोद जी बताइए,और सब खैरियत है ,बिटिया कैसी है! आजकल इधर दिखाई भी नहीं देती है!
कर्मचारी-जी ऊपर वाले की कृपा से सब ठीक हैं आप अपना बताइए!
रमेश बाबू-- अभी तक तो सब ठीक हैं ! अब आगे मालिक की कृपा!
कर्मचारी--एक क्वार्टर चाहिए था !
रमेश बाबू-किसके लिए?
कर्मचारी नंदू के तरफ इशारा करते हुए- इसी लड़के के लिए!
रमेश बाबू हिचकीचाते हुए!
ठी क्क है!
कर्मचारी-लड़का बहुत बढ़िया है, किसी तरह का शिकायत का मौका आपको नहीं मिलेगा!
रमेश बाबू--बस और क्या चाहिए!थोड़ा सा सफाई का ध्यान रखना पड़ेगा, शोर, शराबा - दारु, शराब पे कंट्रोल और क्या!
कर्मचारी-- इस सबके लिए आप बिल्कुल बेफिक्र रहिए!
इतना कहते हुए अपने जेब से कुछ पैसे निकाल कर रमेश बाबू के हथेली पर रख देते हैं!
और फिर क्वार्टर दिखाने का आग्रह करते हैं!
रमेश बाबू अपने नौकर से, क्वार्टर दिखाने के लिए कहते हैं !
एक ही नजर में नंदू को, क्वार्टर पसंद आ जाता है! और प्रफुलित आवाज में ठीक है अंकल जी!
मैं कल्ह ही अपना सारा सामान लेकर,आ जाऊंगा!
कर्मचारी को रमेश बाबू चाय के लिए पूछते हैं!
लेकिन वह मना कर देते हैं !बोलते हैं अभी तक दो दफा हो चुका है!, फिर कभी!अब हमें चलने का अनुमति दीजिए!
रमेश बाबू-- दोनों हाथ जोड़कर ठीक है! राम-राम,
कर्मचारी भी उसी मुद्रा में राम-राम कहते हुए,अपने क्वार्टर के तरफ चल देते हैं!
Read more>>सपनों की उड़ान- भाग 10..
( लेखक रामू कुमार)
टिप्पणियाँ