सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सपनों की उड़ान- भाग 6/Sapno ki udaan hindi story

 
सपनों की उड़ान- भाग 6/Sapno ki udaan hindi story

सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 6) में आपका स्वागत है!

सुबह का समय,,
चिड़ियों की चहचहाहट सारे वातावरण में गूंज रही थी!
सूरज बड़ी थाली के समान धीरे-धीरे ऊपर की ओर निकल रहे थे!
कर्मचारी-नंदू को जगाता है!
नंदूआंख मलते हुए उठता है,
सीखा दरवाजे पर खड़ी होकर ब्रश कर रही थी,जब उसकी नजर नंदू पे पड़ता है,  बड़ा पजामा और कुर्ता देखकर खिलखिला कर हंस पड़ती हैं,नंदू शर्मा का सिर नीचे कर लेता है,
कर्मचारी--नंदू जाओ फ्रेश होकर आओ,और कपड़े भी बदल लो,तुम्हारे कपड़े सूख गए होंगे,नंदू कपड़े बदल कर अपने आपको काफी हल्का महसूस कर रहा था,सुबह का नाश्ता करने के बाद कर्मचारी ,नंदू को लेकर बाहर की तरफ चल देता है!नंदू इधर-उधर ताकते हुए कर्मचारी के पीछे पीछे चलता रहता है!कुछ दूर चलने के बाद कर्मचारी एक बड़े से लोहे के दरवाजे के पास खड़ा हो जाता है!और फिर गार्ड रूम के तरफ बढ़ते हुए नंदू को वहीं ठहरने का अनुमति देता है!नंदू सिपाही के जैसे वही तन कर खड़ा हो जाता है!जैसे सीमा का रक्षा कर रहा हो!कर्मचारी 
कर्मचारी ऑफिस में प्रवेश करता है,ऑफिस के अंदर एक वेटिंग हॉल बना होता है जिसमें कुछ- कुर्सियां लगी होती है
कर्मचारी  कुर्सी पर बैठते हुए बड़ी-बड़ी आंखें करके इधर-उधर देखने लगता है,सामने दीवार पर नियम तालिका लगे होते हैं,उसी को पढ़ने लगता है,कुछ समय बाद एक व्यक्ति आता है,और कर्मचारी को अंदर चलने के लिए कहता है!
कर्मचारी कंपनी मालिक के ऑफिस में प्रवेश करने से पहले अपना जूता उतारने लगता है,लेकिन अंदर से मालिक बोल पड़ता है, इसकी कोई आवश्यकता नहीं है आप ऐसे भी आ सकते हैं!कर्मचारी असमंजस में पड़ जाता है सोचने लगता है जूता खोलू या रहने दू ,
मालिक--जल्दी आइए हमें मीटिंग के लिए निकलना है,कर्मचारी अंदर जाकर मालिक से बताता है!
 साहब एक लड़का है ,उसे आप काम पर रख लीजिए,
मालिक-- कहां है लड़का जल्दी ले आइए,
कर्मचारी--जी अभी ले आया,
कर्मचारी लंबे लंबे कदम बढ़ाते हुए नंदू के पास जाता है!
और नंदू से बोलता है चलो नंदू अंदर चलो,नंदू को खुशी का ठिकाना नहीं रहता है ,वह हर्ष के सागर में गोते लगाने लगता है,
मालिक--यही लड़का है!
कर्मचारी--अपना सर हिलाते हुए जी हां!
मालिक नंदू के तरफ देखते हुए, पढ़े लिखे हो!
नंदू--जी हां!
मालिक--तुम्हारा नाम क्या है!
नंदू अपना नाम बताता है,
मालिक को नंदू का भोलापन बेहद पसंद आता है और कल से आने के लिए कहते हैं!
नंदू--कल से क्यों अभी से क्यों नहीं?
मालिक मुस्कुराते हुए ठीक है भाई अभी से काम पर लग जाओ,मालिक अपने पिए से नंदू को काम समझाने के लिए कहता है,नंदू पिए के साथ कार्यस्थल पर पहुंचता है,
नंदू वहां पर रखें औजार का निरीक्षण करने लगता है,
वहां पर पहले से कार्यरत मजदूर नंदू को अपने साथ काम में सम्मिलित कर लेता है,नंदू फुर्ती के साथ कार्य में व्यस्त हो जाता है!कर्मचारी भी वहां से अपने ड्यूटी के लिए निकल पड़ता है!

                  Read more>>सपनों की उड़ान- भाग 7..

                                                   ( लेखक रामू कुमार)


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सपनों की उड़ान- भाग 2/Sapno ki udaan hindi story

  सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 2) मे आपका स्वागत है!  शाम का समय, बादलों के बीच से चांद झांक रहा था! खगोलीय पिंड आतिशबाजी के सामान चमचमा रहे थे! नंदू- आंगन में बिछी चटाई पर लेट कर आकाशीय सौंदर्य निहार रहा था!वह अपने आप को बादलों में सम्मिलित करना चाहता था!अपने आप को खुला  विचरण करने की कल्पना में डुबो  दिया था!उसके मन में नए-नए विचार उत्पन्न हो रहे थे! मन ही मन सोच रहा था!काश मैं भी औरों की तरह घूमता फिरता दोस्त बनाता खुली वादियों मे गुनगुनाता ! मालूम नहीं मेरे जीवन में ये तमाम खुशियां कब आएगा! अचानक प्रभा की आवाज - नंदू के मरुस्थलीय सपनों का दीवार चूर चूर कर देती  है! प्रभा- नंदू तुम्हें उसी वक्त बोली थी एक सलाई लेकर आओ लेकिन तुम तो तारे गिनने में व्यस्त हो! जल्दी जाओ दुकान बंद हो जाएगा! नंदू- ना चाहते हुए भी अपने बोझील शरीर को धरती से सहारा लेकर  उठता है, जैसे कोई वृद्ध व्यक्ति हो, नंदू- अपने मां से जो जला कटा शब्द सुना था,वही सब दुकान में जाकर उतारता है! नंदू दुकानदार से-सलीम भाई ,ओ सलीम भाई, सलीम खिड़की पे आकर - क्या हुआ नंदू क्यों चींख रहे हो, ...

सपनों की उड़ान- भाग 1/Sapno ki udaan hindi story

  ( यह कहानी ग्रामीण परिवेश पर आधारित  है! जो की पूरी तरह काल्पनिक है !और इस कहानी में किसी भी जगह, व्यक्ति, वस्तु से कोई लेना देना नहीं है, आप इस कहानी को सिर्फ मनोरंजन के रूप में पढ़ सकते हैं! धन्यवाद!! ) सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 1) मे आपका स्वागत है! (जोरों की बारिश साथ में थोड़ी गर्जना लेकर इस नीले ग्रह पे धूम मचा रही थी!  पंछियों का सुर ताल उड़ते तंबू के समान उथल-पुथल हो रहा था! सभी नाले नदी से होर लगाने पे तूली थी!) एक ग्रामीण औरत प्रभा- अपनी टूटी हुई झोपड़ी संभालने में व्यस्त थी!उसका बेटा नंदू अपनी मां को लाख समझाने के बाद भी,छप्पर से गिरने वाली धारा को हथेली पे लोके जा रहा था!एकाएक बाहर से नंदू के पिताजी कीआवाज नंदू को विचलित कर देता है!और वह दौड़ कर बांस के बने खटोले पे बैठकर किताब पढ़ने लगता है!मां को इशारा करते हुए बोलता है मां पिताजी को मत बताना कि मैं पानी से खेल रहा था!प्रभा- आंख तरेरति हुई आंगन की तरफ चल देती है! बाहर से आवाज आता है ,अरे भाग्यवान कोई दरवाजा खोलने में इतना समय लगाता है!प्रभा चुपचाप दरवाजा खोल देती  हैं!  हाथ से छाता लेत...