सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 7) में आपका स्वागत
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नंदू छुट्टी होने के पश्चात कंपनी के बाहर बने चबूतरे पर बैठकर कर्मचारी का राह देख रहा होता है,कुछ ही क्षणों में कर्मचारी उसके पास पहुंचता है!
नंदू-कर्मचारी को देखते ही वहां से उठकर खड़ा हो जाता है!और बड़ी ही उत्सुकता पूर्वक.बोल पड़ता है! अंकल जी कंपनी के तरफ से मुझे रहने और खाने का प्रबंध किया गया है !
कर्मचारी-मुस्कुराते हुए वाह तब तो सोने पर सुहागा हो गया! लेकिन कंपनी का क्वार्टर है कहां?
नंदू अपने जेब से एक कार्ड निकाल कर कर्मचारी को देता है और बोलता है ये तो आप ही को मालूम होगा ,यह कहां पर है !कर्मचारी अपने जेब से चश्मा निकालते हुए उस कार्ड को ध्यान से पढ़ने लगता है!
पढ़ने के बाद नंदू से बोलता है! चलो मेरे साथ ये तो पास में ही है!कुछ दूर चलने के बाद कंपनी का क्वार्टर आ जाता है!कर्मचारी गार्ड को नंदू सौंपते हुए वहां से आंखों में आंसू लेकर अपने क्वार्टर की तरफ तेजी से चल देता हैं!नंदू दोनों हाथ जोड़े ऐसे खड़ा था, मानो कोई भगवान के मूर्ति के सामने खड़ा हो!गार्ड नंदू को हाथ पकड़ते हुए बस हो गया चलो आओ मेरे साथ!
इधर सीखा दरवाजे पे खड़ी अपने बापू का इंतजार कर रही थी!शिखा की मां के गुजरने के बाद शिखा के माता और पिता ,सब उनके बापू ही थे!
कर्मचारी-अपने दरवाजे के पास पहुंचता है !और एकाएक बोल पड़ता है, यहां दरवाजे पर क्या कर रही हैं,अंदर चलो काफी थक गया हूं थोड़ा चाय बना लो!
सीखा चिड़चिड़ती हुई -चाय तीन दफा गर्म कर चुकी हूं !
कर्मचारी सिखा के सर पर हाथ रखते हुए, चलो कोई बात नहीं! ये लो छाता जाओ ..
शिखा कुछ क्षणों में रसोई से दो प्याले में चाय लेकर आती है!चाय रखती हुई टपाक से पूछ बैठती है..बापू वह लड़का कहां गया!दिखाई नहीं दे रहा है!कर्मचारी चाय का प्याला हाथ में उठाते हुए!नंदू का कहानी बताने लगता है!
शिखा सिर हिलाती हुई ठीक है!
कर्मचारी खाना पीना खाने के बाद लेट जाता है!
परंतु नींद शायद नंदू चुरा कर ले गया था!नंदू की यादें और उसका भोलापन कर्मचारी को बार-बार जगह-जगह से कुरेद रहा था!
नंदू जिस कंपनी में काम पर लगा था!उस कंपनी में ट्यूबलाइट तैयार किया जाता था!नंदू काफी मेहनती था जिसके वजह से उसे आगे बढ़ने में किसी तरह की कठिनाई की सामना नहीं करना पड़ाऔर वो आगे बढ़ते चला गया!.......
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(लेखक रामू कुमार)
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