सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 12) में आपका स्वागत है!
शाम का समय-
आकाशीय खेत में तारे उग रहे थे,हवाएं गुमसुमा समा बांध चुकी थी,जुगनू अपने रोशनी के साथ,भोजन के तलाश में निकल चुके थे,!!
नंदू अपने क्वार्टर में, खाट पर ऐसे लेटा था,जैसे कोई अजगर बड़ा जानवर निगलने के बाद,अचेत अवस्था में पड़ा हो!
इधर -शिखा तरह-तरह की पकवान बनाकर , शबरी की भांति आंखें बिछाए बैठी थी!कर्मचारी ड्यूटी से छूटते ही,सब्जी लेने बड़े बाजार की तरफ निकल चुके थे!शाम अपना पोथी पत्रा रात को सौंप रहा था!
शिखा मन में विचार करती हैं,क्यों न नंदू को बुला लाउँ अब, कौन सा दूर रहते हैं, दस मिनट में तो पहुंच जाऊंगी, यही सोचती हुई एकाएक उठ कर खड़ी हो जाती है!
और नंदू के क्वार्टर के तरफ चल देती है!उसके मन में तरह-तरह के सवाल-जवाब उत्पन्न हो रहे थे, लेकिन सभी पे पर्दा डालती हुई आगे बढ़ती जा रही थी !उधर से कर्मचारी सरपट भागते हुए आ रहे थे!
रास्ते में शिखा को देखकर,अचंभित स्वर में पूछता है, शिखा कहां जा रही हो?शिखा आश्चर्यचकित होकर अपने बापू के तरफ देखती है,जैसे किसी चोर को एकाएक पुलिस पीछे से पकड़ लिया हो,कुछ देर ठहर कर बोलती है,नंदू को खाना खाने के लिए बुलाने जा रही थी,
कर्मचारी-सब्जी का थैला शिखा को देते हुए ,यह लो और क्वार्टर पर जाओ ,मैं उसे लेकर आ रहा हूं! शिखा वहीं से अपने क्वार्टर की तरफ चली आती है!
कर्मचारी नंदू के क्वार्टर पर पहुंचता है! देखता है कि, दरवाजा खुला पड़ा है,और नंदू निर्भीक होकर सो रहा है!कर्मचारी क्वार्टर में प्रवेश करता है,इधर उधर नजर दौड़ाता है!सारा सामान सही से रखा हुआ था, जिसके वजह से कमरा काफी सुंदर लग रहा था!लेकिन दरवाजा खुला होने के कारण,ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे किसी लहलाहाते खेत को,जानवर चरने के लिए घेरा खोल दिया हो, और रखवाल कुंभकरण की नींद में सो रहा हो!
कर्मचारी नंदू को जगाता है!नंदू अंगड़ाई लेते हुए उठता है!
कर्मचारी नंदू को डांटते हुए,ऐसे कौन सोता है,दरवाजा खुला पड़ा है, जुग जमाना खराब है,तुम्हें क्या मालूम किस के अंदर क्या चल रहा है,कोई कुछ उठा ले तो तुम क्या करोगे?
चलो खाना तैयार है खा लो, फिर पूरी रात सोते रहना!
नंदू अपना सर नीचे कर लेता है, और चुपचाप कर्मचारी के साथ उसके क्वार्टर के तरफ चल पड़ता है!
शिखा अभी तक तीन दफा पकौड़े गरम कर चुकी थी,दोनों को आते देख खाना लगाने चली जाती है,
खाना खाते खाते,रात अपनी जवानी की ओर बढ़ने लगता है!
खाना पीना खाने के बाद नंदू अपने क्वार्टर की तरफ चलने के लिए तैयार होता है! तभी कर्मचारी बोल पड़ता है,दरवाजा लगा कर सोना,
नंदू अपने क्वार्टर मे पहुंचते ही,खाट पर लेट जाता है,और थकानी घोड़े पे सवार होकर,नींद महल की ओर चल पड़ता है!
सुबह आंख खुलती है, ड्यूटी के लिए लेट हो रहा था! बगैर चाय नाश्ता के ही, ड्यूटी पर निकल जाता है!
कंपनी में जान पहचान होने के कारण खाना मिल जाता है!शाम को ड्यूटी खत्म होते ही ,वो सीधे अपने क्वार्टर पर पहुंचता है, जैसे ही खाना बनाने का सोचता है, तैसे उसका हाथ जवाब दे देता है! शायद उसके हाथो को वेगैर खाना बनाये खाने का लत् लग चुका था , और वह सोचते ही सोचते सो जाता है!
शिखा अपने बापू से बोलती है ,बापू नंदू का तबीयत ठीक नहीं लग रहा था! मालूम नहीं खाना खाया होगा या नहीं , एक बार जाकर देख लेते!
कर्मचारी--ठीक है!
कर्मचारी वहां पहुंच कर देखता है, शिखा की कही हुई बातें ठीक थी!नंदू का बदन गर्म था,ज्यादा थकान होने के कारण बुखार आ गया था!कर्मचारी नंदू के सर पर हाथ रखते हुए,नंदू उठो चलो मेरे साथ तुम्हारा तबीयत ठीक नहीं है,यहां तुम्हें कौन देखभाल करेगा,नंदू कर्मचारी के क्वार्टर पर पहुंचता है ! खाना पीना खाने के बाद, वहीं पे सो जाता है!
रात भर बाप बेटी मिलकर नंदू का खूब सेवा करता है,सुबह''नंदू का तबीयत मे पहले के अपेक्षा काफी सुधार नजर आता है!नंदू सुबह का चाय नाश्ता वहीं करता है!
कर्मचारी--नंदू आज ड्यूटी मत जाना !
नंदू--जी...!
कर्मचारी रोज की तरह ड्यूटी के लिए तैयार होता है और चला जाता है!
नंदू भी कुछ देर रुक कर, अपने क्वार्टर पे चला आता है!
आते ही वह फिर से अपने खाट पर लेट जाता है!
दिन के ग्यारह बज चुके थे, ,लेकिन वह उठने का नाम ही नहीं ले रहा था!
मालूम नहीं उसे कौन सा बीमारी लगा था!
समझना मुश्किल हो रहा है!
Read more>>सपनों की उड़ान- भाग 13..
(लेखक रामू कुमार)
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