सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 4) में आपका स्वागत है!
बारिश अपने आने की सूचना बिजली के हाथ इस धरातल पर भेजती है!
और देखते ही देखते कुछ ही क्षणों में, आ धमकती है!
कर्मचारी नंदू को देखता है, वह कब से वहीं बैठा रहता है!
लगता है नसा में ये अपना स्टेशन काफी पीछे छोड़ आया है!
नंदू के पास आकर पूछता है-- ऐ लड़के तुम्हें कहां जाना है, कब से देख रहा हूं तुम यहीं पर बैठे हो! नंदू उठ कर खड़ा हो जाता है! और आंखों से आंसू का सहारा लेकर, बड़े ही निर्मोही भाव से बोलता है, अंकल मुझे खुद नहीं पता मुझे कहां जाना है!
कर्मचारी अचंभित होकर बोलता है--तुम पागल हो क्या?
नंदू बगैर बोले अपना मुंह नीचे कर लेता है!
कर्मचारी को कुछ समझ मे नहीं आता है, असली माजरा क्या है? कर्मचारी मन ही मन सोचता है, क्यों न इसे पुलिस को दे दूं वही पूछताछ करेगा, ऐसे यह बताने वाला नहीं है!
कर्मचारी जैसे ही कदम उठाता है, नंदू वैसे ही लपक कर कर्मचारी का पैर पकड़ लेता है !, कर्मचारी सक पका जाता है, और मन ही मन सोचता है, इसे कैसे पता कि मैं पुलिस के पास जा रहा हूं! लगता है यह जादूगर है! नंदू रोते हुए बोलता हैं,अंकल मुझे कोई काम दे दो!
मैं घर से यहां काम करने आया हूं! मैं पहली बार गाड़ी से सफर किया हूं, इसलिए अभी तक सर घूम रहा हूं!मैं शराबी नहीं हूं,
कर्मचारी --कहां से आए हो?
नंदू--छोड़िए न इन बातों को मुझे कोई काम दे दीजिए,
कर्मचारी मन ही मन सोचता है, अब इससे ज्यादा पूछताछ करना सही नहीं होगा,मासूम जान पड़ता है!
पहले इसे कुछ खिलाते हैं, मूहं सूखा पड़ा है, कर्मचारी इन तमाम बातों को छोड़ते हुए, तापक से उसका नाम पूछता है!
नंदू मन में विचार करता है, नाम सही बताऊं या गलत
कहीं ऐसा न हो की नाम की पूछताछ कर के हमें वापस घर भेज दे,
कर्मचारी--इतना देर क्या सोच रहे हो, अपना नाम बताओ?
नाम जाने बगैर तुम्हें काम कैसे मिलेगा,
नंदू काम के चक्कर में जल्दी से अपना सही नाम बता देता है!
कर्मचारी -- अच्छा पहले कुछ खा पी लो,उसके बाद काम पर लगा देंगे ,पढ़े लिखे हो ना?
नंदू अपने दोनों हाथों से आँशु पोछते हुए जी,
कर्मचारी -- फिर चलो मेरे साथ !
कर्मचारी उसे स्टेशन से बाहर ले जाकर खाना खिलाता हैं!
तब तक कर्मचारी का छुट्टी होने का समय हो जाता है! छुट्टी होते ही कर्मचारी अपने साथ नंदू को लेकर अपने क्वार्टर के तरफ चल देता है!रास्ते में बारिश आ जाती है! कर्मचारी मुंह से कठोर लेकिन आत्मा से बहुत ही दयालुवान था!अपना छाता खोलते हुए,नंदू से बोलता है बारिश आ गई है, छाते में आ जाओ!
कुछ देर चलने के बाद कर्मचारी का क्वार्टर आता है ! कर्मचारी अपने दरबाजे पे पहुंचकर ऊंचे स्वर में बोलता है,शिखा.... ओ शिखा.......!
अंदर से आवाज आती है, जी.. बाबू जी...,आई.., नंदू तब तक बाहर लगे दरवाजे को बड़े ध्यान से देख रहा था ! जो की,
बरसाती पानी पी.. पी.. कर जगह- जगह टूट चुका था!
और पढ़ें>> सपनों की उड़ान- भाग 5..
(लेखक रामू कुमार )
टिप्पणियाँ