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नवंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सपनों की उड़ान- भाग 6/Sapno ki udaan hindi story

  सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 6) में आपका स्वागत है! सुबह का समय,, चिड़ियों की चहचहाहट सारे वातावरण में गूंज रही थी! सूरज बड़ी थाली के समान धीरे-धीरे ऊपर की ओर निकल रहे थे! कर्मचारी-नंदू को जगाता है! नंदूआंख मलते हुए उठता है, सीखा दरवाजे पर खड़ी होकर ब्रश कर रही थी,जब उसकी नजर नंदू पे पड़ता है,  बड़ा पजामा और कुर्ता देखकर खिलखिला कर हंस पड़ती हैं,नंदू शर्मा का सिर नीचे कर लेता है, कर्मचारी--नंदू जाओ फ्रेश होकर आओ,और कपड़े भी बदल लो,तुम्हारे कपड़े सूख गए होंगे,नंदू कपड़े बदल कर अपने आपको काफी हल्का महसूस कर रहा था,सुबह का नाश्ता करने के बाद कर्मचारी ,नंदू को लेकर बाहर की तरफ चल देता है!नंदू इधर-उधर ताकते हुए कर्मचारी के पीछे पीछे चलता रहता है!कुछ दूर चलने के बाद कर्मचारी एक बड़े से लोहे के दरवाजे के पास खड़ा हो जाता है!और फिर गार्ड रूम के तरफ बढ़ते हुए नंदू को वहीं ठहरने का अनुमति देता है!नंदू सिपाही के जैसे वही तन कर खड़ा हो जाता है!जैसे सीमा का रक्षा कर रहा हो!कर्मचारी  कर्मचारी ऑफिस में प्रवेश करता है,ऑफिस के अंदर एक वेटिंग हॉल बना होता है जिसमें कुछ- कुर्सियां लगी होती है कर्मचा

सपनों की उड़ान- भाग 5/Sapno ki udaan hindi story

  सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 5) में आपका स्वागत है! क्वार्टर के अगल-बगल काफी पेड़ पौधे लगे थे!जो कि बारिश छूटने के बाद भी काफी समय तक टपकटी रहती थी!चांद खिला हुआ था,बारिश की बूंदे शीशे के समान चमक रही थी!हल्की हल्की हवा पेड़ों को ताजगी प्रदान कर रही थी, तभी एका एक दरवाजा खुलता है,कर्मचारी सीखा को डाटते हुए दरवाजा खोलने में कोई इतना समय लगता है! नंदू को अचानक अपने पिता जी का याद आ जाता है! वो भी मम्मी को इसी तरह डाटते थे! सीखा अपने बाबू जी के हाथ से छाता लेती हुई तपाक से पूछ  बैठती है यह कौन है! कर्मचारी बैगर जवाब दिये  हुए, बरामदे में लगे कील मे  अपना कुर्ता टांगनेन लगते हैं!शिखा जवाब न पाकर अपनी नाक सिकुड़ाती हुई चली जाती है!नंदू बाहर दरवाजे को पकड़कर  अछोप की तरह खड़ा रहता है! कर्मचारी--नंदू वहां खड़े क्यों हो , वो दरवाजा गिरने वाला नहीं है आओ बैठो यहां!नंदू हल्के मुस्कुराहट के साथ, बरामदे में लगे कुर्सी पर बैठ जाता है! कर्मचारी--शिखा वो शिखा...., शिखा--जी बाबू जी.., कर्मचारी -- थोड़ी सी चाय बना लो, कुछ ही छनो मे स्टॉप की आवाज ,सारे क्वार्टर में बैगर चैनल वाली रेडियो  जैसे गूंजन

सपनों की उड़ान- भाग 4/Sapno ki udaan hindi story

सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 4) में आपका स्वागत है! शाम का समय'' बारिश अपने आने की सूचना बिजली के हाथ इस धरातल पर भेजती है! और देखते ही देखते कुछ ही क्षणों  में, आ धमकती है! कर्मचारी नंदू को देखता है, वह कब से वहीं बैठा रहता है! लगता है नसा में ये अपना स्टेशन काफी पीछे छोड़ आया है! नंदू के पास आकर पूछता है-- ऐ  लड़के तुम्हें कहां जाना है, कब से देख रहा हूं तुम यहीं पर बैठे हो! नंदू उठ कर खड़ा हो जाता है! और आंखों से आंसू का सहारा लेकर, बड़े ही निर्मोही भाव से बोलता है, अंकल मुझे खुद नहीं पता मुझे कहां जाना है! कर्मचारी अचंभित होकर बोलता है--तुम पागल हो क्या? नंदू बगैर बोले अपना मुंह नीचे कर लेता है! कर्मचारी को कुछ समझ मे नहीं आता है, असली माजरा क्या है? कर्मचारी मन ही मन सोचता है, क्यों न इसे पुलिस को दे दूं वही पूछताछ करेगा, ऐसे यह बताने वाला नहीं है! कर्मचारी जैसे ही कदम उठाता है, नंदू वैसे ही लपक कर कर्मचारी का पैर  पकड़ लेता है !, कर्मचारी सक पका जाता  है, और मन ही मन सोचता है, इसे कैसे पता कि मैं पुलिस के पास जा रहा हूं! लगता है यह जादूगर है! नंदू रोते हुए बोलता हैं,अं

सपनों की उड़ान- भाग 3/Sapno ki udaan hindi story

  सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 3) में आपका स्वागत है! सूरज अपने साथ तमाम उजाला लेकर अपने घर की ओर लौटने लगते हैं! डिब्बे की सारी बत्तियां जला दी जाती है!सभी खिड़कियां बंद कर दिये जाते है!धीरे-धीरे सभी के चेहरे से  थकानी  लौ एक-एक करके बुझने लगता है!और वहां शांति का माहौल बन जाता है! नंदू को प्यास इतना बेचैन कर देता है, कि वो सामने बैठी महिला से एकाएक पानी मांग बैठटा है! महिला एक नजर ऊपर से नीचे तक देखती है, और फिर पानी का बोतल बढ़ा देती हैं!नंदू इतना प्यासा रहता है, कि सारा पानी मिनटों में सुड़क जाता है!और बोतल बढ़ाते हुए बोलता है आप ने आज मेरा जान बचा दिया!गाड़ी पहले के अपेक्षा काफी रफ्तार से  बढ़ने लगती है!नंदू वही बैठे-बैठे झपकने लगता है!झपकते झपकते गहरी नींद में सो जाता है!सामने बैठी महिला एक टक लगाकर उस बेसुधा पड़े नंदू को निहारने लगती हैं! कुछ समय गुजरने के बाद,नंदू को जगाती है और पूछती हैं, बेटा, कहां जाना है!नंदू कोई  उत्तर नहीं देता है! फिर महिला पूछती है,तुम्हारे पास कुछ खाने पीने का चीज है? नंदू अपना गर्दन हीलाते हुए-नहीं आंटी कुछ भी नहीं है ! महिला-तो फिर कहां जा रहे हो,