देख जमाना बदल रहा है!
उड़ते पंछी संभल रहा है!
भौतिक रंग चढ़ गए सब पर
प्रकृति की भी मचल रहा है!
देख जमाना बदल रहा है!
नदी सिमटकर नाला बन गई!
नरम रुई अब भाला बन गई!
नए रोग अब पनप रहा है
देख जमाना बदल रहा है!
देख जमाना बदल रहा है!
संस्कृति भी हुई बेहोश!
पड़ा जो उनपे भौतिक ओश!
पुरानी चीजें कलप रहा है!
देख जमाना बदल रहा है!
देख जमाना बदल रहा है!
उथल-पुथल है जीवन सबका!
अमन चैन लुट गए हैं कब का!
साधु संत भी सनक रहा है!
देख जमाना बदल रहा है!
देख जमाना बदल रहा है
गुलशन में सुगंध कहां है!
प्रकृति में आनंद कहां है!
सत्य अहिंसा दबक रहा है
देख जमाना बदल रहा है!
देख जमाना बदल रहा है..देख जमाना बदल रहा है!
( लेखक रामू कुमार)
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