सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बदलते मानव

 


चिंता की चिता सजा करके!

अंदर ही अंदर जलते हो!!

औरों की खुशी में जहर मिलाकर !

सोने का कफन पहनते हो !!

         मुस्कान भरे चेहरे को लेकर!

          हाट बाजार टहलते हो!!

           निर्धन काया से भी अक्सर!

           उल्टी बाजी चलते हो!!

                          औरों के खुशी मे....२

भोजन में जहर मिला करके!

इधर उधर से ठगते हो!!

कहते हो इसमें अच्छा गुण है!

कह कर इतना चलते हो!!

                       औरों के खुशी में....२

माथे पे तिलक लगाकर के!

मुख से जहर उगलते हो!!

तामसी भोजन रातों में!

सुबह हाथ चंदन से मलते हो!!

                      औरों के खुशी में....२

कहते हो निश्चल मानव हूं!

औरों के खुशी से जलते हो!!

गीता पे हाथ रख कर के!

पैसों से बात बदलते हो!!

                     औरों के खुशी में ....२

पुज्य मंदिरों में जाकर के!

झूठी तान परस्ते हो!!

हर पहलू में सिर हिला कर!

गिरगिट सा रंग बदलते हो!!

                   कहते हो निश्चल मानव हूं!

                    मानव से ही जलते हो !!

औरों के खुशी में जहर मिलाकर!

सोने का कफन पहनते हो!!


      !!!!!( लेखक रामू कुमार)!!!!



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

यारी ( दोहा)

मन ही मन में सोंचते,किसे बनाउँ यार! जहां कलम की काम है,का करिहें तलवार!!       ( लेखक रामू कुमार)

सपनों की उड़ान- भाग 6/Sapno ki udaan hindi story

  सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 6) में आपका स्वागत है! सुबह का समय,, चिड़ियों की चहचहाहट सारे वातावरण में गूंज रही थी! सूरज बड़ी थाली के समान धीरे-धीरे ऊपर की ओर निकल रहे थे! कर्मचारी-नंदू को जगाता है! नंदूआंख मलते हुए उठता है, सीखा दरवाजे पर खड़ी होकर ब्रश कर रही थी,जब उसकी नजर नंदू पे पड़ता है,  बड़ा पजामा और कुर्ता देखकर खिलखिला कर हंस पड़ती हैं,नंदू शर्मा का सिर नीचे कर लेता है, कर्मचारी--नंदू जाओ फ्रेश होकर आओ,और कपड़े भी बदल लो,तुम्हारे कपड़े सूख गए होंगे,नंदू कपड़े बदल कर अपने आपको काफी हल्का महसूस कर रहा था,सुबह का नाश्ता करने के बाद कर्मचारी ,नंदू को लेकर बाहर की तरफ चल देता है!नंदू इधर-उधर ताकते हुए कर्मचारी के पीछे पीछे चलता रहता है!कुछ दूर चलने के बाद कर्मचारी एक बड़े से लोहे के दरवाजे के पास खड़ा हो जाता है!और फिर गार्ड रूम के तरफ बढ़ते हुए नंदू को वहीं ठहरने का अनुमति देता है!नंदू सिपाही के जैसे वही तन कर खड़ा हो जाता है!जैसे सीमा का रक्षा कर रहा हो!कर्मचारी  कर्मचारी ऑफिस में प्रवेश करता है,ऑफिस के अंदर एक वेटिंग हॉल बना होता है जिसमें कुछ- कुर्सियां लगी ...

सपनों की उड़ान- भाग 2/Sapno ki udaan hindi story

  सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 2) मे आपका स्वागत है!  शाम का समय, बादलों के बीच से चांद झांक रहा था! खगोलीय पिंड आतिशबाजी के सामान चमचमा रहे थे! नंदू- आंगन में बिछी चटाई पर लेट कर आकाशीय सौंदर्य निहार रहा था!वह अपने आप को बादलों में सम्मिलित करना चाहता था!अपने आप को खुला  विचरण करने की कल्पना में डुबो  दिया था!उसके मन में नए-नए विचार उत्पन्न हो रहे थे! मन ही मन सोच रहा था!काश मैं भी औरों की तरह घूमता फिरता दोस्त बनाता खुली वादियों मे गुनगुनाता ! मालूम नहीं मेरे जीवन में ये तमाम खुशियां कब आएगा! अचानक प्रभा की आवाज - नंदू के मरुस्थलीय सपनों का दीवार चूर चूर कर देती  है! प्रभा- नंदू तुम्हें उसी वक्त बोली थी एक सलाई लेकर आओ लेकिन तुम तो तारे गिनने में व्यस्त हो! जल्दी जाओ दुकान बंद हो जाएगा! नंदू- ना चाहते हुए भी अपने बोझील शरीर को धरती से सहारा लेकर  उठता है, जैसे कोई वृद्ध व्यक्ति हो, नंदू- अपने मां से जो जला कटा शब्द सुना था,वही सब दुकान में जाकर उतारता है! नंदू दुकानदार से-सलीम भाई ,ओ सलीम भाई, सलीम खिड़की पे आकर - क्या हुआ नंदू क्यों चींख रहे हो, ...