इन काले कोयल को देखो काली होकर मीठी स्वर परोसे आत्मा में नया ताजगी झरोखे दिल व्याकुल है मीठी तान के भरोसे बाग बगियों के नाज है ये हवाऐ झरोखे की राग है ये वातावरण की ताज है ऐ कठोर दिल का मोहताज है ये अंध्यारो का उजाला है वृक्षों का रखवाला है आदतों से निराला है स्वरों का प्रयोगशाला हैं फल फूलों का अधिकारी समाजों का पुजारी कौवा का विनाशकारी पक्षियों में गुणकारी आमों की डालियों पर बच्चों की गालियों पर सैनिकों की कुर्बानियों पर अनेकों स्वर बरसाती है ..!! इन काले कोयल को देखो भारत देश का धरोहर मीठी तान से मनोहर अपने चोच से कठोहर मीठे फलों ...
मैं अपनी विचारधारा, उन तमाम लोगों तक पहुंचाना चाहता हूँ । जो हमें एक नई दिशा की ओर अग्रसर करें। मैं अपनी कविता कहानी संवाद इत्यादि के माध्यम से , ओ मंजील हासिल करना चाहता हूं जहां पहुंचकर हमें, अत्यंत हर्ष प्रतीत हो।