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हमारे साहित्य गुरु

शहादत दो शहादत दो,
हमें तुम और सहादत दो।
मन चिंतन में हृदय की कन में,
इतना ही इबादत दो।
                 शहादत दो शहादत दो हमें तुम और सहादत दो ।
मन में भरा है चितवन चोर,
पर अंधियारा दिया झकझोर।
बगावत दो बगावत दो,
 लड़ने की बगावत दो।
                  शहादत दो शहादत तो हमें तुम और शहादत दो।
जब कदम उठे मंजिल की ओर,
नाकामयाबी ने मचाया शोर।
ताकत दो ताकत दो,
हमें बढ़ने की ताकत दो।
                 शहादत दो शहादत दो हमें तुम और शहादत दो।
चौमुख दिशा तुम्हें पुकारे,
उत्तम अनंत कल्पना तुम्हारे।
कलामक दो कलामक दो,
हमें  ऐसी ही कलामक दो।
                  शहादत दो शहादत दो हमें तुम और सहादत दो।
हमें भी प्रकाशमान बना दो।
तारे जैसे तुम चमका दो।
सजावट दो सजावट दो,
हमें सुंदर सी सजावट दो।
                 सहादत दो शहादत दो हमें तुम और सहादत दो            
                  ।।।।।🖋🖊✒लेखक रामू कुमार📚📚

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