जब तेज हवा धरती को ठंडक पहुंचाती है,
तो लोग उसे तबाही समझ लेते हैं।
आशिकों को प्यार से जहर भी दो, तो उसे ओ बादशाही समझ लेते हैं।
मैं तन्हाई में खामोश रहता हूं हर पल।
तो लोग मेरी खामोशी को बीमारी समझ लेते हैं।
💠🔵💠🔵💠🔵💠🔵💠🔵💠
मांस को उर्दू में गोश्त कहते हैं।
मस्त को बंगला में मोस्त कहते हैं।
बगैर बताए जो दिल की बात समझे,
वैसे हमदर्द को सच्चा दोस्त कहते हैं।
💠🔴💠🔴💠🔴💠🔴💠🔴💠
नापसंद चीज को लोग खराब कहते हैं।
डरावना को संक्षिप्त में डराव कहते हैं।
जब लोग दिले गम में डूब जाते हैं,
गम से निकालने वाली दवा को शराब कहते हैं
💠⚫💠⚫💠⚫💠⚫💠⚫💠
दोस्तों ये अदालत है।
बड़ी अजीब हालत है।
यह कैसा दस्तूर है।
कानून भी मजबूर है।
अपराधी मौज करें,
और फंसता बेकसूर है।
💠🔘💠🔘💠🔘💠🔘💠🔘💠
गाड़ी के पांव को लोग टायर समझ लेते हैं।
रणभूमि से भागे वीरों को कायर समझ लेते हैं।
मैं अपनी दिले गम लिखता हूं आपको,
तो आप मुझे खुश दिल शायर समझ लेते हैं।
।।।।।लेखक रामू कुमार ।।।।।
तो लोग उसे तबाही समझ लेते हैं।
आशिकों को प्यार से जहर भी दो, तो उसे ओ बादशाही समझ लेते हैं।
मैं तन्हाई में खामोश रहता हूं हर पल।
तो लोग मेरी खामोशी को बीमारी समझ लेते हैं।
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मांस को उर्दू में गोश्त कहते हैं।
मस्त को बंगला में मोस्त कहते हैं।
बगैर बताए जो दिल की बात समझे,
वैसे हमदर्द को सच्चा दोस्त कहते हैं।
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नापसंद चीज को लोग खराब कहते हैं।
डरावना को संक्षिप्त में डराव कहते हैं।
जब लोग दिले गम में डूब जाते हैं,
गम से निकालने वाली दवा को शराब कहते हैं
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दोस्तों ये अदालत है।
बड़ी अजीब हालत है।
यह कैसा दस्तूर है।
कानून भी मजबूर है।
अपराधी मौज करें,
और फंसता बेकसूर है।
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गाड़ी के पांव को लोग टायर समझ लेते हैं।
रणभूमि से भागे वीरों को कायर समझ लेते हैं।
मैं अपनी दिले गम लिखता हूं आपको,
तो आप मुझे खुश दिल शायर समझ लेते हैं।
।।।।।लेखक रामू कुमार ।।।।।
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