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वतन तेरे याद में खुद को खो दिए,
आज तेरे हालत देखकर हम तो रो दिए।
सच और निष्ठा का नाम भुला दिया,
पानी और हवाओं में जहर मिला दिया।
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हिंदू और मुस्लिम में कुचक्र डालकर,
भाई और भाई का गला काट कर।
शांति अमन और चैन सब खो दिए,
वतन तेरे याद में हम तो रो दिए।
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पर्व और त्यौहार में नशा मिल गया,
सारे पर्यावरण में जहर मिल गया।
ऐसी दशा देखकर दिल दहल गऐ,
वतन तेरे याद में हम तो रो दिए।
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1947 मे जब मिली थी आजादी,
आजादी के नाम पर खिली आबादी।
धीरे धीरे नेता और कानून सो गए,
वतन तेरे याद में हम तो रो दिए।
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धर्म अब कमाने का जरिया बन गया,
नदियाॕ अब सिमट कर दरिया बन गया।
कंचन कोकिलावन में अशांति छा गए,
वतन तेरे याद में हम तो रो दिए।
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रंगीन वतन पे सफेदी सा चढ़ गये,
कोरा कागज दिल में कालिक सा लग गए
हम तो खुद रोए और तुम भी रो दिए,
वतन तेरे याद में खुद को खो दिए।
।।।।। लेखक रामू कुमार।।।।।
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