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लुधियाना जकशन

मै लुधियाना स्टेसन पे उतरा ! उतरते ही इधर उधर .नजर दौड़ाया 'शायद कुछ बैठने को मिल जाए क्योंकि गाड़ी आने में अभी काफी समय थी ! दो चार कदम चलने के बाद मुझे एक खाली बेंच नजर आया !मैं बेहिचक वहीं जाकर बैठ गया'तेज गर्मी की वजह से तमाम सजीव झुलस रहे थे ! परंतु  रुमाल नमी ग्रस्त हो चुका था !सामने लगी पंखा गर्म सांस छोड़ रही थी !कुछ बंदर इधर-उधर अंगरक्षक की भांति खड़ा था  खाना खाते व्यक्ति को एकाग्रता पूर्वक देख रहा था! भूख की व्याकुलता मे गाड़ी की तेज भोपू भी उसे विचलित नहीं कर पा रही थी एक रोटी पाते ही सब महाभारत का लड़ाई मचा देता था! एक रोटी ना जाने कितने खंडों में विभाजन हो जाते थे! हम से कुछ ही दूरी पर एक लड़की खीरा बेच रही थी! तन पे ना तो अच्छी कपड़ा थी और ना ही पांव में चप्पल थे ! एक फ्रॉक पहन रखी थी,वह भी इतनी गंदी थी कि दर्शना नामुमकिन था' दोनों हाथों में एक-एक प्लास्टिक की बल्ला पहन रखी थी!जिस पर बार-बार खीरा के पानी लगने से थोड़ी चमकीली लग रही थी!उसके हाथों में एक चाकू था जिसे वह बार-बार फर्श पर रगड़ कर तेज करती थी ! सामने लगे पंखा उनके साथ शरारत कर रहा था ! वह उनके बालों को उड़ा कर उनके मुंह के सामने ले आता था जिससे वह काफी परेशान थी और सही पूछिए तो उसी से वह अच्छी भी लग रही थी 'आँख में बाल परते वह और व्याकुल हो उठती थी!और मुंह से फूंक मारती परंतु असफल हो जाती 'अंतगत्वा अपने हाथों से उसे कान के पीछे कर लेती ! थोड़ी-थोड़ी समय के बाद वह बहुत ही ऊंचे स्वर में बोल उठती खीरा लेलो.... खीरा लेलो.....लेकिन उसकी आवाज निरुत्तर होकर वापस उसी के पास लौट आती' उसकी नजरें हर एक यात्री के चेहरे पर टिकी रहती 'थी  जैसे कि वह उन्हें मुक भाषा में कुछ कहना चाह रही हो'लेकिन उनकी भाषा सभी को समझना मुश्किल था!जब दूर गाड़ी की भोपू सुनाई देती तब उसके चेहरे पर खुशी की लहर दौर उठती थी!क्योंकि हो सके इसमें से कोई यात्री इनसे खीरा खरीदें !जैसे-जैसे गाड़ी प्लेटफार्म के नजदीक आती 'वैसे वैसे उनकी धड़कन तेज होती जाती !परंतु जब गाड़ी से उतरने वाले यात्री सीधे बाहर की तरफ चले जाते बेचारी की तनी हुई भौंवे ढीली पड़ जाती' फिर वह लंबी सी सांस लेकर आंख बंद कर लेती ' धीरे-धीरे खोल देती! कुछ ही समय बाद एक गाड़ी आई !और उसमें से एक परिवार के साथ यात्री उतरे !उनके कुछ बच्चे थे! और  साथ में पत्नी थी ! वह लोग फर्श पर अखबार बिछाकर बैठ गये !उस लड़की की नजर उन लोगों पर पड़ी' वह बड़ी ही उत्सुकता के साथ हाथ में कुछ खीरे लेकर उनके समीप जाकर खड़ी हो गई ! वे लोग अभी ही उतरे थे 'इसलिए आपस में कुछ बातें कर रहे थे!और चेहरे पर चहल-पहल थी! वे काफी समय तक वहीं खड़ी रही परंतु कोई इसकी खीरा नहीं ले रहा था ! अंत में वह बोल पड़ी चाचा चाचा खीरा ले लीजिए ! अभी ताजा और हरे हरे हैं! यात्री उनकी बातों को मजाक में लेते हुए बोल पड़े !क्या फ्री में बांट रही हो क्या ! जाओ मेरे पास पैसे नहीं है !ओ बेचारी अपनी गर्दन धरातल की तरफ झुका ली और बहुत ही धीमी चाल में अपने टोकरी की तरफ आने लगी! ना जाने उनके मन में कितने सवाल जवाब उठ रहे थे! उस सदस्य में एक छोटा सा मुन्ना भी था !जो उन्हें  वापिस जाते देखकर सिसकियां ले कर रोने लगा ?उस लड़की के नजार एका- एक  मुन्ने की तरफ गया !ओ एक क्षण भी नहीं गंवाई !वापिस मुन्ने के पास आकर मुस्कान मई मुखड़ो के साथ मुन्ने के हाथों में एक खीरा दे दी!और वापीस जाने लगी !मुन्ने के माता-पिता अवाक रह गए' 'लड़की वापस अपने टोकरे के पास जाकर बैठ गई ,और इधर उधर आते जाते यात्रियों को अपनी और आकर्षित करने  लगी !दूर बैठे उस परिवार में चुलबुल चुलबुल होने लगे मुन्ने की मम्मी बैंग से पैसे निकाल कर पति को बार-बार धकेलती हुई बोल रही थी ,जाइए जाकर खीरा वाली को पैसा दे दीजिए ,मालूम नहीं बेचारी के ऊपर ऐसे कौन सी बीपत पड़ी  हैं जिसके कारण वह इस दशा में घूट रही है! बार-बार निरंतर धकेलती लेकिन वह असफल रही! अंत में अपने होठों से कुछ विद विद आती हुई खड़ी हो गई ,और भौव चढ़ाकर  मुंह एठती हुई खुद लड़की के पास चली गई!पास जाकर बड़ी ही धैर्यता पूर्वक बैठ गई!और पैसे देने लगी !परंतु लड़की ने पैसे लेने से इनकार कर दी और बोल पड़ी आप लोगो को क्या पता पेट क्या चीज होती है!अच्छा छोड़िए इन बातों को वह मेरे छोटे भाई जैसा था देख कर रहा नहीं गया इसीलिए दे दी हूं!अच्छा तेरा भी भाई मुन्ने जैसा है!लड़की ने लंबी सांस लेकर बोली हां! लेकिन अब नहीं है; इतना कहने के साथ ही आंखों के चारदीवारी से आंसू रिसने लगा! मुन्ने की मम्मी ने ममतामई हाथ उनके सर पर रख कर बोली!तुम्हारा भाई कहां खो गया!लड़की ने बोली नहीं खोया नहीं है अब वह इस जहां में है ही नहीं!छोड़िए इन बातों को जानकर आप क्या कीजिएगा आप लोगों को मजाक के अलावा और कुछ आता तो नहीं है!ऐसा मत सोचो मैं भी एक गरीब घर की लड़की हूं तुम्हारी व्यथा मै भलीभांति समझ सकती हूं!बताओ तुम्हारे साथ क्या हुआ!लड़की आंसुओं का सहारा लेकर बोल पड़ी!आपको क्या बताऊं मैं सबसे बड़ी हू हमसे छोटी छोटी दो बहने और भी थी भाई का आगमन अभी नहीं हुआ था पिताजी बड़ी कड़क स्वभाव के थे हम तीनों बहन को सर के बोझ समझते थे जिसके कारण वह नहीं देखना चाहते थे!इसी बीच मां  पैरालिसिस का शिकार हो गई!पिताजी हम लोगों को छोड़कर बेगाने हो गए!दिन रात में रो रो कर अपने प्राणों की आहुति देने पर तुली थी!इसी तरह कुछ माह बिता.हम लोग दाने-दाने को लालायित हो गए'हमसे दो छोटी बहनें धीरे-धीरे भूख के शिकार हो गई और इस जहां को छोड़ दी!भीख भी मिलना मुश्किल हो गया!फिर डूबते हुए जीवन में मेरा भाई आशा की किरण बनकर आया! मैं दिन रात मेहनत  मजदूरी करके  भाई को को बचाने की कोशिश करता रहा!फिर एक दिन हमारे गांव में एक अजनबी आया वह हम लोगों पर तरस खाकर कुछ पैसे दिए और बोले इससे छोटा-मोटा रोजगार कर लेना!लेकिन रब को यह मंजूर कहां मेरा भाई अचानक बीमार पड़ गया और सारे के सारे पैसे उसके दवा में लगा दिए!परंतु मेरे जिंदगी का किरण हमेशा हमेशा के लिए हमें अंधकार में छोड़कर विलुप्त हो गया!दिन-रात मां और मैं रोते-रोते पागलों की बातें बगैर कुछ खाए पिए मरने पर तुली थी!मां तो चली गई परंतु मैं इस जहां के तरह-तरह के ठोकर खाने के लिए बच गई!मैं दिन-रात मरने का नया-नया तरकीब सोचने लगी!एक रोज में तालाब में कूद पड़ी लेकिन कुछ मछुआरे ने मुझे निकालकर दो चार थप्पड़ लगाकर विदा कर दिया और बोला आत्महत्या करना दुनिया का सबसे बड़ा पाप है!हमारे जिंदगी में अंधेरा के सिवा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था कभी कभी जोर जोर से हंसने का दिल होता था तो कभी-कभी जोरो से  रोने का!मैं घूमते घूमते भटकते भटकते स्टेशन पर पहुंची!यहां एक  खीरा बेचने वाली से हमारी मुलाकात हुई!उसी के पास बैठती थी वह बुड्ढी हो चुकी थी !जिसके लिए इधर उधर जाकर खीरा देने में असमर्थ थी!मैं दिन भर सभी को खीरा देती!और वह जब शाम को घर जाने लगती तो कुछ पैसे मुझे दे देती और बोलती कुछ खा लेना!मैं उस पैसे में से इतना थोड़ी-थोड़ी एक एक रुपए बचा कर ' मैं अपना रोजगार की'इसी तरह  जिंदगी धीरे-धीरे बीत रही है!

""औरत की आंखों में प्रेम के सागर उफान मारने लगी !

उसने लपक कर उसको गले से लगा ली !वहां खड़े तमाम यात्री चौकन्य मुद्रा में इस दृश्य को देखने लगा !और आपस में घुसुर फुसुर करने लगा!उधर से एकाएक मुन्ने के पिताजी दौड़ कर उसके पास आया!और ऊंचे स्वर में माया ए क्या कर रही हो !माया अपने आंचल से आंसू पोछती हुई !आपको क्या पता है इसके ऊपर कितने विपदा आई हैं! और क्या-क्या अपने जीवन में सही है!मुन्ने के पिताजी कड़क आवाज में बोला !तुम रोती क्यों हो चलो!औरत जात भी ना अजीब होती है 'जरा सी कोई झूठी मोठी दुख सुना दे सर पर आसमान उठा लेती हैं!तभी 'मुन्ना जोर से चिल्लाने लगा!अरे भाई चलो रो रहा है मुन्ना आ रहा हूं भाई देख नहीं रहे हो तुम अपनी मम्मी को ,यहां से खिसकने की नाम ही नहीं ले रही है!माया बड़ी ही नम्रता पूर्वक अपने पति से निवेदन की ऐसा कीजिए बेचारी को भी साथ में ले चलिए हमारे पास एक भी लड़की नहीं है भगवान ना तो खाने को कमी दिए हैं ना ही रहने की! हमें एक भी लड़की नहीं है !मुन्ना के पिताजी तेज आवाज में अरे तू तो सारे जहां के ठेका ले रखी है!हाथ पकड़कर खींचते हुए चल यहां से!माया हाथ छोड़ाती  हुई !आपको जाना है तो मुन्ने को लेकर जाइए !जब तक यह नहीं चलेगी तब तक मैं भी नहीं जाऊंगी!इसी बीच हमारी गाड़ी भी प्लेटफार्म पर आ गई!मैं अपना बैग उठाया और गाड़ी की तरफ चल दिया परंतु हमारी निगाहें उस लड़की की तरफ ही टीकी  थी!मैं एक एक कदम बहुत धीरे-धीरे बढाता था!गाड़ी सिटी दे दी मैं गाड़ी में बैठ गया!खिड़की से उस लड़की की ओर झांका परंतु वहां सिर्फ खीरा से भरी टोकरी पड़ी थी!फिर मैं आश्चर्यचकित होकर इधर-उधर देखा हमारी नजर उसको पहचानने में सेकेण्ड भी नहीं लगाया' उसको पहचान लिया आगे-आगे मुन्ना के पापा, बीच में लड़की ,और सबसे पीछे मुन्ने की मां ! मुन्ने को गोद में लिए जा रही थी ! मुझे एहसास हो गया कि उस लड़की को एक नई उजाला मिल गया !




!!!लेखक रामू कुमार !!!

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