सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सपनों की उड़ान- भाग 8/Sapno ki udaan hindi story

सपनों की उड़ान- भाग 8/Sapno ki udaan hindi story

 सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 8) में आपका स्वागत है!

चार माह बीत चुके थे,नंदू के माता पिता विषाद की चादर में धीरे-धीरे लिपटते जा रहे थे,

इधर कर्मचारी को  नंदू की यादें झकझोर रहा था,और अंत मे उन्होंने निश्चय किया कि आज नंदू से मिलने जाऊंगा!  कर्मचारी, ड्यूटी से आते वक्त सीधे नंदू के क्वाटर की तरफ चल देता है!लेकिन वहां नंदू नहीं मिलता है!कॉलोनी के लोगों से पूछने पर पता चलता है की,सेहत सही नहीं रहने के कारण वह बाहर क्वार्टर लेकर रहता है!कर्मचारी निराश होकर एक व्यक्ति से पूछता है!आपको पता है कि वह कहां रहता है !
कर्मचारी का प्रश्न निरुत्तर होकर वापस उसी के पास लौट आता है!दूसरे दिन कर्मचारी ड्यूटी से आते वक्त  कंपनी के गेट
पर रुक कर नंदू का इंतजार करने लगता है!सभी कर्मचारी छुट्टी होते ही एक-एक करके बाहर निकलने लगते हैं!लेकिन नंदू कहीं नजर नहीं आता है!कर्मचारी अनिश्चित दशा में कुछ पल के लिए वहीं खड़ा रहता है!तभी एक गार्ड आकर उससे पूछता है, किसका इंतजार कर रहे हैं !कर्मचारी  बोलता है नंदू को,
कार्ड मुस्काते हुए बोलता है - नंदू आज छुट्टी पर है, आप
कल आईऐगा,
कर्मचारी निराशा की गठरी सर पर लेकर, वापस अपने कमरे की तरफ चल देता है!
दूसरे दिन फिर कर्मचारी ड्यूटी खत्म  होने के बाद कंपनी के गेट पर पहुंचता है!उस दिन फिर नंदू से मुलाकात नहीं हो पाता, शायद वह पहले ही निकल चुका था!
कर्मचारी तीसरे दिन  वही प्रक्रिया जारी रखता है!आखिर लोग कहते हैं ना की कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती!आखिरकार नंदू से तीसरे दिन मुलाकात हो ही जाती है!
दोनों का मुलाकात ,भरत मिलाप के समान ,बेहद करुणा पूर्ण  था!
कर्मचारी-नंदू के कंधे पे हाथ रखते हुए ,चलो मेरे साथ मैं तुम्हें बढ़िया सा क्वार्टर दिलवाता हूं!
नंदू-अंकल जहां मै रह रहा हूं, वहां भी बढ़िया  है!
कर्मचारी- अच्छा चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं!तुम्हारा क्वाटर भी देख लुंगा ,  कभी मुलाकात करना होतो हम सीधे वहीं आकर  मिल लेंगे!
नंदू कर्मचारी को लेकर अपने क्वाटर के तरफ चलने लगता  है!
रास्ते में ढेर सारी बातें होती है!
कुछ समय चलने के बाद नंदू का क्वार्टर आ जाता है!
कर्मचारी क्वार्टर के इर्द-गिर्द नजर दौड़ाता है!
गली में काफी गंदगी पड़ी होती है!कर्मचारी अपना नाक     शिकुड़ाते हुए क्वार्टर में प्रवेश करता है!
कमरे में एक डोरी वाली खाट,कुछ बर्तन,और कुछ खाने पीने की चीजें बेसुधा पड़ी थी!सामने दीवार में एक कैलेंडर टंगा था!जिसमें कृष्ण राधा का फोटो छपी थी!
नंदू चाय पिना बंद कर कर दिया था ! इसलिए उसके कमरे में चाय बनाने वाली किसी प्रकार की सामग्री उपलब्ध नहीं था!
नंदू कर्मचारी के तरफ देखते हुए बोलता है!अंकल जी आप थोड़ा देर आराम कीजिए मैं अभी दो मिनट में आ रहा हूं!
कर्मचारी झटके में उचक्के होकर पूछता है ,कहां जा रहे हो?
नंदू सहानुभूति देते हुए ; बस अंकल जी थोड़ी देर में आया!इतना कहते हुए वह कमरे से बाहर की तरफ चल देता है!
कुछ ही क्षणों में नंदू होटल से गरम गरम पकौड़े और चाय   लेकर आता है! 
कर्मचारी-यह सब लाने की क्या जरूरत था !
नंदू- प्रफुल्लित होकर एक गलाश में चाय और प्लेट में पकौड़ा लेकर कर्मचारी के आगे बढ़ाते हुए ,लीजिए इतना ही हो पाया!
नंदू अभी खाट पर बैठना ही चाह रहा था,तभी बाहर से एक औरत की आवाज आती है,
नंदू बेटे... ओ नंदू बेटे...?
नंदू दरवाजे की ओर बढ़ते हुए ,जी आंटी जी  ...!
औरत- नंदू बेटे देखो ना  लाइट जलते जलते बंद हो गया मालूम नहीं क्या हो गया है!
नंदू -ठीक है चलिए मैं आ रहा हूं!
नंदू कर्मचारी को थोड़ी देर ठहरने का आग्रह करते हुए,कमरे से बाहर के तरफ चल देता है!
कर्मचारी कमरे में अकेले बैठकर मन ही मन  सोच रहा था!
लड़का हो तो ऐसा!ईश्वर सभी को  ऐसा ही लड़का दें,
कुछ मिनटों में,नंदू वापस कमरे में आता है!कर्मचारी को देखते हुए अंकल जी आप किस सोच में पड़े हुए हैं!लेट हो रहा है आपको मैं  आपके क्वाटर तक छोड़ आऊंगा!
प्लेट में कुछ पकोड़े अभी भी रखे हुए थे!नंदू पकौड़े की तरफ इशारा करते हुए!इसमें से तो कुछ भी आपने नहीं खाया!मुझे बनाना नहीं आता  !  इसलिए मैं होटल से लाया हूं!
चलिए कोई बात नहीं, आगे से मैं खुद से बनाने का कोशिश करूंगा!
कर्मचारी मुस्कुराते हुए,अरे ऐसी कोई बात नहीं है!लो तुम भी खाओ!
नंदू दे दो चार पकोड़े अपने हाथ  में लेते हुए!छोटे बच्चे की तरह खाने लगता है!

                  Read more>>सपनों की उड़ान- भाग 9..

                                                     (लेखक रामू कुमार)







 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सपनों की उड़ान- भाग 2/Sapno ki udaan hindi story

  सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 2) मे आपका स्वागत है!  शाम का समय, बादलों के बीच से चांद झांक रहा था! खगोलीय पिंड आतिशबाजी के सामान चमचमा रहे थे! नंदू- आंगन में बिछी चटाई पर लेट कर आकाशीय सौंदर्य निहार रहा था!वह अपने आप को बादलों में सम्मिलित करना चाहता था!अपने आप को खुला  विचरण करने की कल्पना में डुबो  दिया था!उसके मन में नए-नए विचार उत्पन्न हो रहे थे! मन ही मन सोच रहा था!काश मैं भी औरों की तरह घूमता फिरता दोस्त बनाता खुली वादियों मे गुनगुनाता ! मालूम नहीं मेरे जीवन में ये तमाम खुशियां कब आएगा! अचानक प्रभा की आवाज - नंदू के मरुस्थलीय सपनों का दीवार चूर चूर कर देती  है! प्रभा- नंदू तुम्हें उसी वक्त बोली थी एक सलाई लेकर आओ लेकिन तुम तो तारे गिनने में व्यस्त हो! जल्दी जाओ दुकान बंद हो जाएगा! नंदू- ना चाहते हुए भी अपने बोझील शरीर को धरती से सहारा लेकर  उठता है, जैसे कोई वृद्ध व्यक्ति हो, नंदू- अपने मां से जो जला कटा शब्द सुना था,वही सब दुकान में जाकर उतारता है! नंदू दुकानदार से-सलीम भाई ,ओ सलीम भाई, सलीम खिड़की पे आकर - क्या हुआ नंदू क्यों चींख रहे हो, ...

सपनों की उड़ान- भाग 6/Sapno ki udaan hindi story

  सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 6) में आपका स्वागत है! सुबह का समय,, चिड़ियों की चहचहाहट सारे वातावरण में गूंज रही थी! सूरज बड़ी थाली के समान धीरे-धीरे ऊपर की ओर निकल रहे थे! कर्मचारी-नंदू को जगाता है! नंदूआंख मलते हुए उठता है, सीखा दरवाजे पर खड़ी होकर ब्रश कर रही थी,जब उसकी नजर नंदू पे पड़ता है,  बड़ा पजामा और कुर्ता देखकर खिलखिला कर हंस पड़ती हैं,नंदू शर्मा का सिर नीचे कर लेता है, कर्मचारी--नंदू जाओ फ्रेश होकर आओ,और कपड़े भी बदल लो,तुम्हारे कपड़े सूख गए होंगे,नंदू कपड़े बदल कर अपने आपको काफी हल्का महसूस कर रहा था,सुबह का नाश्ता करने के बाद कर्मचारी ,नंदू को लेकर बाहर की तरफ चल देता है!नंदू इधर-उधर ताकते हुए कर्मचारी के पीछे पीछे चलता रहता है!कुछ दूर चलने के बाद कर्मचारी एक बड़े से लोहे के दरवाजे के पास खड़ा हो जाता है!और फिर गार्ड रूम के तरफ बढ़ते हुए नंदू को वहीं ठहरने का अनुमति देता है!नंदू सिपाही के जैसे वही तन कर खड़ा हो जाता है!जैसे सीमा का रक्षा कर रहा हो!कर्मचारी  कर्मचारी ऑफिस में प्रवेश करता है,ऑफिस के अंदर एक वेटिंग हॉल बना होता है जिसमें कुछ- कुर्सियां लगी ...

सपनों की उड़ान- भाग 1/Sapno ki udaan hindi story

  ( यह कहानी ग्रामीण परिवेश पर आधारित  है! जो की पूरी तरह काल्पनिक है !और इस कहानी में किसी भी जगह, व्यक्ति, वस्तु से कोई लेना देना नहीं है, आप इस कहानी को सिर्फ मनोरंजन के रूप में पढ़ सकते हैं! धन्यवाद!! ) सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 1) मे आपका स्वागत है! (जोरों की बारिश साथ में थोड़ी गर्जना लेकर इस नीले ग्रह पे धूम मचा रही थी!  पंछियों का सुर ताल उड़ते तंबू के समान उथल-पुथल हो रहा था! सभी नाले नदी से होर लगाने पे तूली थी!) एक ग्रामीण औरत प्रभा- अपनी टूटी हुई झोपड़ी संभालने में व्यस्त थी!उसका बेटा नंदू अपनी मां को लाख समझाने के बाद भी,छप्पर से गिरने वाली धारा को हथेली पे लोके जा रहा था!एकाएक बाहर से नंदू के पिताजी कीआवाज नंदू को विचलित कर देता है!और वह दौड़ कर बांस के बने खटोले पे बैठकर किताब पढ़ने लगता है!मां को इशारा करते हुए बोलता है मां पिताजी को मत बताना कि मैं पानी से खेल रहा था!प्रभा- आंख तरेरति हुई आंगन की तरफ चल देती है! बाहर से आवाज आता है ,अरे भाग्यवान कोई दरवाजा खोलने में इतना समय लगाता है!प्रभा चुपचाप दरवाजा खोल देती  हैं!  हाथ से छाता लेत...