कुछ सुखी लकड़ियों को चुन रखा हूं मै' जिन्दगी का कुछ खबर नही! ये दिल मचलता रहा कटी पतंगो की तरह' इसे भी अबतक सबर नही! जमी पे गिरकर मुलाकात होगी धुलो से' उठाने वाला कोई सहर नही! कुचला जाएगा यहां रंगीन पांव से' ताड़ने वाला कोई भंवर नही! कुछ सुखी लकड़ीयों को चुन रखा हूं मै....... ( लेखक रामू कुमार)
मैं अपनी विचारधारा, उन तमाम लोगों तक पहुंचाना चाहता हूँ । जो हमें एक नई दिशा की ओर अग्रसर करें। मैं अपनी कविता कहानी संवाद इत्यादि के माध्यम से , ओ मंजील हासिल करना चाहता हूं जहां पहुंचकर हमें, अत्यंत हर्ष प्रतीत हो।