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मई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तड़प

कुछ सुखी लकड़ियों को चुन रखा हूं मै' जिन्दगी का कुछ खबर नही! ये दिल मचलता रहा कटी पतंगो की तरह' इसे भी अबतक सबर नही!               जमी पे गिरकर मुलाकात होगी धुलो से'                                  उठाने वाला कोई सहर नही!                कुचला जाएगा यहां रंगीन पांव से'                 ताड़ने वाला कोई भंवर नही!     कुछ सुखी लकड़ीयों को चुन रखा हूं मै.......               ( लेखक रामू कुमार)

आगाज़

आइए बैठकर कुछ बात किया जाए' दिले कशमकश को समाप्त किया जाए!        दूरियां नजदीकियां कुछ भी नहीं रहा'        अब एक नई मंजिल तलाश किया जाए! हर किसी को चाहिए रंगीन महफिले' आइए मुकम्मल इश्क की शुरुआत किया जाए!       कैद हो चुका था तन्हाई की जंजीरो में'        अब इन जंजीरों से आजाद किया जाए! कांटो से भरी गुलशन को रौंदा था हमने' मिलकर उन जख्मों से सवाल किया जाए!                 मैंखानों की प्यालो पर कुछ छाप छोड़े थे हमने'        आइए उन छापो को साफ किया जाए! उदासी की चादर ओढ़ा रखा था फूलों को'  आइए उसे हटाकर खुशमिजाज किया जाए!       मीट रही थी इबादत की लकीर मेरे हाथों से'         फिर से नई लकीरों का आगाज़ किया जाए! आइए बैठकर कुछ बात किया जाए' दिले कशमकश को समाप्त किया जाए!         (लेखक रामू कुमार)

अधूरे जज्बात

  कुछ बात अधूरी है' मुलाकात अधूरी है! दुनिया के नजरों में' तालुकात अधूरी है!              थोड़ी सी रहम कर दे'                    इस दिल को नरम कर दें!                     इस दिल से उस दिल तक'          विश्वास जरूरी है!     कांटो की शिकायत तो' गुलशन भी करते हैं!     मन मस्त मगन होकर' रहना मजबूरी है!                इस मरूस्थल दिल मे'             थोड़ी सी नमी दे दे!                तेरे साथ में चलने का'       मेरा मंजूरी है!                       (लेखक रामू कुमार)  

डिजिटल भाभी

जमाना बदल गया है भईया'जमाना बदल गया है भईया! भऊजी के इशारे पे नाचत है बड़का भईया' अपने पहीरे बनारसी साड़ी' मुन्ना के जिंस पहीराबेली! घर से बाहर बैग टांग के' छम छम पायल बजावेली! ब्यूटी पार्लर मौला हॉल में'खूब उड़ावे रुपईया' जमाना बदल गया है भईया'जमाना बदल गया है भईया! हर महीना में मोबाइल रिचार्ज' दुई घंटा में बैटरी डिस्चार्ज! उ इतना नेट चलावेली' नेट खत्म हो गईलापर' देवर से नेट जोड़वावेली! छन छन चूड़ी बजावे खातिर'खूब अईठेली कलाइयां! जमाना बदल गया है भईया'जमाना बदल गया है भईया! भात दाल  रोटी सब्जी' यूट्यूब से देख बनावेली! तेल साबुन कपड़ा लता' ऑनलाइन मंगवावेली! लाज शर्म सब पीछे छूटल'पूजा-पाठ लेवे अंगरईया! जमाना बदल गया है भईया'जमाना बदल गया है भईया! चार दिन में चम्मच टूटे' पाँच दिन में फोरली थाली! सास ससुर के समझईला पे' देवेली मूहछुटे गाली! इ कविता लिख -लिख के'शरमईले रामू भईया' जमाना बदल गया है भईया'जमाना बदल गया है भईया!                                             (लेखक रामू कुमार)