नया नया प्यार हुआ , दिल बेकरार हुआ , मजनू के संघ संघ , लैला फरार हुआ !! पापा खोजे डंडा लेके , मम्मी खोजे पंडा लेके , कोचिंग में जमा सारा ,पैसा बेकार हुआ !! मजनू के जेब खाली , दिन लागे बड़ी भारी , प्यार के उपर जब , भुख सवार हुआ !! बीते जब पांच दिन , लैला रोय रात दिन , एकही के छोड़ बैरी , पूरा संसार हुआ !! ( लेखक रामू कुमार )
मैं अपनी विचारधारा, उन तमाम लोगों तक पहुंचाना चाहता हूँ । जो हमें एक नई दिशा की ओर अग्रसर करें। मैं अपनी कविता कहानी संवाद इत्यादि के माध्यम से , ओ मंजील हासिल करना चाहता हूं जहां पहुंचकर हमें, अत्यंत हर्ष प्रतीत हो।