अभी कुछ दूर चला था मैं अभी कुछ दूर जाना है, हमें कहीं और जाना है हमें कहीं और जाना है, मिले थे रास्ते में वो सोचा कुछ बात कर लु, दूरियां दिल में ना रहे मुलाकात कर लु, अभी कुछ दूर चला था मैं अभी कुछ दूर जाना है,.... (लेखक रामू कुमार)
मैं अपनी विचारधारा, उन तमाम लोगों तक पहुंचाना चाहता हूँ । जो हमें एक नई दिशा की ओर अग्रसर करें। मैं अपनी कविता कहानी संवाद इत्यादि के माध्यम से , ओ मंजील हासिल करना चाहता हूं जहां पहुंचकर हमें, अत्यंत हर्ष प्रतीत हो।